महादेव के आशीर्वाद से अमर है ये | आज भी जिंदा है | Immortal Of India



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महादेव के आशीर्वाद से अमर है ये इंसान | आज भी जिंदा है | Immortal Of India Our Voice Recording System :- https://amzn.to/2R4zwgx https://amzn.to/2N4lVCM https://amzn.to/2N81Hbp हमारे भारत में सत युग से ही बोहोत से महापुरुषों ने जनम लिया है | और कुछ म|हा पुरुष एसे भी हैं जो आज भी जिंदा हैं | यानि वो हमारे युग, कल युग में भी जिंदा हैं | पिछले विडियो में मैंने आपको अश्वथामा के बारे में बताया था जो आज भी जंगलों में भटक रहा है | इस विडियो में मै आपको बताने जरह हूँ एक ऐसे इंसान के बारे में | जिन्हें भगवन विष्णु का छटा अवतार मना जाता है | और जो आज भी जिंदा हैं और भारत के एक स्थान पर भगवान् शिव कि तपस्या आकर रहे हैं | में अपने सुब्स्क्रिबेर्स का धन्यवाद करना चाहता हूँ कि आप हमसे जुड़े और इसे आगे बढ़ाया | और अगर आपने अभी तक हमारे चैनल को सब्सक्राइब नहीं किया है तो प्लीज इसे सब्सक्राइब करलें ताकि आप जुड़े रहें एसी ही अद्भुत और अमेजिंग बातों से मेरे साथ | कहा जाता है कि परशुराम जी अमर हैं यानि चिरंजीवी हैं | तो आइये देखते हैं कि इस बात कि मूल कहानी क्या है | परशुराम जी के पिता का नाम जमदग्नि और माता का नाम रेणुका था | ये एक ब्राह्मण तो थे लेकिन एक पुराने श्राप कि वजह से ये क्षत्रिय के गुणों वाले पैदा हुए | उसकी वजह ये है कि parshuram जी के पिता कि माता जी यानि परशुराम जी कि दादी थीं सत्यवती जिनकी शादी हुइ थी महर्षि भृगु के बेटे ऋचीक से | कुछ समय बाद सत्यवती महर्षि भृगु यानि अपने ससुर के पास गयीं और उन्होंने उनसे पुत्र कि याचना कि | तब महर्षि भृगु ने उन्हें २ फल दिए और कहा कि स्नान करने के बाद गुलर और पीपल के पेड़ों का आलिंगन करना और ये दोनों फल खालेना तो तुम्हारी इच्छा पूर्ण होजाएगी | लेकिन सत्यवती जी से इस काम में भूल होगई और उन्होंने किसी दुसरे पेड़ का आलिंगन करलिया | महर्षि भृगु को इस बात पता चल गया कि उनसे गलती होगयी है | जिसकी वजह से उन्होंने सत्यवती जी को कहा कि तुझे पुत्र ज़रूर होगा किन्तु वो क्षत्रिय पैदा होगा | तब सत्यवती जी ने महर्षि भृगु से क्षमा मांगी और याचना की, कि मेरे पुत्र का पुत्र क्षत्रिय हो किन्तु मेरा पुत्र न हो | महर्षि भृगु ने कहा तथास्तु एसा ही होगा | जिसकी वजह से सत्यवती जी के पुत्र जमदग्नि के 4 पुत्र हुए और चोथे पुत्र थे परशुराम जो थे तो ब्राह्मण लेकिन वो क्षत्रिय गुणों वाले पैदा हुए | यानि उन्हें बचपन से ही वारफेयर और अस्त्र शस्त्र में बहुत दिलचस्पी थी | उन्होंने धनुर्विद्या अपने पिता महर्षि जमदग्नि से सीखी | उसके बाद वे यूध की और विद्याएँ सीखना चाहते थे इसलिए विद्या ग्रहण करने वे अपने पितरों के पास गए | यानि अपने दादा परदादों से उन्होंने हर तरह कि विद्या सीखी | उसके बाद उनके दादाजी महर्षि भृगु ने उनसे कहा कि हिमवत के पहाड़ों में जाकर भगवान् शिव कि आराधना और तपस्या करो | तो जो विद्या तुम सीखना चाहते हो वो महादेव तुम्हें सिखा देंगे | क्यूंकि परशुराम जी दिव्य अस्त्र भी पाना चाहते थे | इसलिए उन्होंने अपने दादाजी कि बात मनि और हिमवत के पहाड़ों में जाकर भगवान शिव कि कड़ी तपस्या और अराधना की | महादेव उनकी तपस्या से प्रसंन हुए और उन्हें वरदान मांगने के लिए कहा | तब parshuram जी ने दिव्याअस्त्र और युद्ध कौशल का वरदान माँगा | तब महादेव ने परशुराम जी कि निष्ठा और परायणता की परीक्षा लेने के लिए उन्हें तीर्थ यात्रा पर भेज दिया और कहा इसके बाद में तुम्हें वरदान दूंगा | इसके बाद parshuram जी ने फिर महादेव कि आराधना की महादेव ने उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर उन्हें माँगा हुआ वरदान दिया महादेव कि आज्ञा से parshuram जी ने दानवों और देत्यों का भी सफाया किया जिससे महादेव प्रसन्न हुए तब उन्होंने परशुराम जी को और वरदान दिए और अपना दिव्या फरसा यानि परशु भी दिया | पहला वरदान था कि वे दिव्या हथियारों में सबसे तेजस्वी रहेंगे | दूसरा वरदान था कि वे युद्ध में अविनाशी और हमेशा अजेय रहेंगे | तीसरे वरदान में महादेव ने कहा कि वे रोगों से मुक्त रहेंगे और उनका स्वस्थ्य और आयु भी कम नहीं होगी | चोथे वरदान में महादेव ने कहा कि वे पूरी दुनिया में प्रसिद्ध रहेंगे | और पांचवे वरदान में उन्हें कड़ी तपस्या में सक्षम और भगवान् शिव को समर्पित रहना था | एसा उपाख्यान भी है जो सच है कि परशुराम जी ने सहस्तार्जुन का वध किया था और साथ ही 21 बार क्षत्रियों के वंश को समूल नष्ट किया था | इसकी शुरुवात कुछ एसे हुई कि सहस्तार्जुन एक क्षत्रिय रजा था | जो बहुत ताकतवर था | और उसको महर्षि दत्तात्रेय कि आराधना करने पर 1००० भुजाओं का वरदान मिला था सहस्तार्जुन को वरुण देव ने कहा था कि उसको पराजित करने वाले केवल परशुराम ही हैं | ये बात सुनकर सहस्तार्जुन बोहोत क्रोधित हुआ जिसकी वजह से वो परसुराम जी के आश्रम गया | लेकिन उन्हें वहां parshuram जी नहीं मिले | परशुराम जी के पिता जमदग्नि ने सहस्तार्जुन का स्वागत किया और उन्हें दावत भी दी | इतना अच्छा स्वागत और दावत देखकर सहस्तार्जुन ने महर्षि जमदग्नि ने पूछा कि इसके पीछे क्या राज़ है | तब महर्षि जमदग्नि ने उन्हें बताया कि उनके पास इंद्र देव द्वारा दी हुई कामधेनु गाय है जो हर इच्छा पूर्ण करती है | कहा जाता है कि परशुराम जी चिरंजीवी हैं और वो आज भी महेंद्र गिरी के पहाड़ों में भगवान शिव की आराधना और तपस्या कर रहे हैं | कलकी पुराण में वर्णन है कि जब कलयुग कि समाप्ति होगी तब वे अपनी तपस्या से उठकर और कलयुग के सप्त्रिशी, ऋषि व्यास, अश्वथामा और ऋषि कृपा में से एक होंगे | The music used in the video is : Dark Times by Kevin MacLeod is licensed under a Creative Commons Attribution license (https://creativecommons.org/licenses/by/4.0/) Source: http://incompetech.com/music/royalty-free/index.html?isrc=USUAN1100747 Artist: http://incompetech.com/

Published by: Jhannaat Published at: 7 years ago Category: سرگرمی